नारी सशक्तिकरण को परिभाषित करती मढ़ई सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की साहसिक महिलाएं
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में संभाली गाइडिंग और ड्राइविंग की कमान
नर्मदापुरम// अहिल्या बाई होलकर के जीवन मूल्यों से प्रेरणा लेकर आज की महिलाएं आत्मनिर्भरता, न्यायप्रियता और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना के साथ आगे बढ़ रही हैं। यह महिलाओं के बढ़ते आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता का स्पष्ट संकेत है। ऐसा ही उदाहरण प्रस्तुत करती सोहागपुर विकासखंड की महिलाएं जो कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (एसटीआर) के घने एवं दुर्गम जंगलों में पर्यटकों का मार्गदर्शन कर रही है।
कभी जिन क्षेत्रों को केवल पुरुषों के लिए उपयुक्त समझा जाता था, वहां अब महिलाएं निडरता और आत्मविश्वास के साथ गाइडिंग से लेकर जिप्सी ड्राइविंग तक की जिम्मेदारी निभा रही हैं।सोहागपुर विकासखंड के ग्राम टेकापार की सोनम एवं विमला, और ग्राम कामती की अर्चना, पूजा एवं नेहा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में गाइड और ड्राइवर के रूप में कार्यरत हैं।

ये महिलाएं पर्यटकों को जंगल की जैव विविधता, वन्य जीवन और प्राकृतिक सौंदर्य की जानकारी देने का कार्य करती हैं।ग्राम टेकापार की विमला बताती हैं, “इस कार्य से हमें आत्मसंतोष की अनुभूति होती है। पहले लोग कहते थे कि यह काम महिलाओं का नहीं है, लेकिन अब समाज का नजरिया बदलने लगा है।
महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं और अन्य महिलाएं भी प्रेरित होकर इस क्षेत्र में आगे आ रही हैं।”इन महिलाओं का कहना है कि इस कार्य से न केवल आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि घर की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है।
स्थानीय समुदाय में महिलाओं की भूमिका को लेकर जागरूकता बढ़ रही है, और अब कई परिवारों की महिलाएं भी गाइडिंग व ड्राइविंग प्रशिक्षण के लिए आगे बढ़ रही हैं।इन महिला गाइडों को पर्यटकों से बातचीत कर न सिर्फ नए अनुभव मिलते हैं, बल्कि उन्हें जंगलों के प्रति जागरूकता और संरक्षण का संदेश देने का भी अवसर मिलता है।
ये महिलाएं सुबह-सवेरे जंगल सफारी के लिए निकल जाती हैं और पूरे दिन मेहनत से अपना कार्य करती हैं।यह परिवर्तन नारी सशक्तिकरण का एक प्रेरणादायक उदाहरण है और यह दर्शाता है कि यदि अवसर मिले तो महिलाएं किसी भी क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर सकती हैं।