आगरा के एक परिवार ने अपनी 13 साल की बेटी को महाकुंभ में जूना अखाड़े को सौंप दिया। अब वह साध्वी बन गई है और उसका नाम बदलकर गौरी रखा गया है। परिवार के सदस्यों का कहना है कि उन्होंने अपनी बेटी की इच्छा का सम्मान किया है और वह साध्वी बनना चाहती थी।
गौरी के परिवार ने बताया कि वह बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति की थी और वह साध्वी बनने के लिए उत्सुक थी। परिवार ने कहा कि उन्होंने अपनी बेटी की इच्छा का सम्मान किया है और वह जूना अखाड़े में साध्वी बन गई है।
गौरी के पिता ने बताया कि उनकी बेटी ने साध्वी बनने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि वह अपनी बेटी की इच्छा का सम्मान करने के लिए तैयार थे, लेकिन उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि उनकी बेटी को इस निर्णय के बारे में पूरी जानकारी हो।
जूना अखाड़े के महंत ने बताया कि गौरी का परिवार आश्रम से जुड़ा हुआ है और उन्होंने अपनी बेटी को साध्वी बनाने के लिए आश्रम में सौंप दिया है। उन्होंने कहा कि गौरी को आध्यात्मिक शिक्षा दिलाई जाएगी और वह आगे भी पढ़ाई कर सकती है।
महंत ने आगे कहा कि गौरी को साध्वी बनने के लिए पूरी तरह से तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गौरी को आध्यात्मिक ज्ञान और संस्कार दिए जाएंगे, जिससे वह एक अच्छी साध्वी बन सके।
गौरी की मां ने बताया कि वह अपनी बेटी के निर्णय से खुश हैं। उन्होंने कहा कि वह अपनी बेटी की इच्छा का सम्मान करती हैं और वह जानती हैं कि उनकी बेटी ने जो निर्णय लिया है, वह उसके लिए सही है।
