संवाददाता:- शेख आरिफ।
इमामबाड़ों की सवारीयो ने भी की ताजियों की जियारत।


सोहागपुर// नगर में मोहर्रम का पर्व शहीदाने हजरत इमाम हुसैन की याद में मन्याया गया, मोहर्रम की 10 तारीख रविवार को पुराने थाने के पिछे ताजियों को रखा गया, सभी लोगो ने ताजियों की जियारत कर लोभान और तबर्रुक पेश किया । ताजियों पर इमामबाड़ों की सबारियो ने बाबाओ की आमद के साथ सलामी देकर नगर में गश्त किया। पूरे नगर में मोहर्रम की धूम देखी गई हजारो लोगो ने ताजियों की जियारत की।
मुस्लिम त्योहार कमेटी अध्यक्ष वसीम खान ने बताया कि रात्रि में अखाड़े का प्रदर्शन भी किया गया जिसमें छोटे बच्चे बड़े और बुजुर्गों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और अपनी प्रतिभा दिखाई। मोहर्रम की 11 तारीख सोमवार को ताजियों का विसर्जन 1 बजे करीब कर्बला में किया गया।

सोहागपुर के रफीक शिशगार ने ख्वाजा गरीब नवाज के चांदी के ताजिये की तर्ज पर दिल्ली और जबलपुर से समान लाकर ताजिया को तैयार करा जो आकर्षण का केंद्र रहा। मुस्लिम त्योहार कमेटी अध्यक्ष बासीम खान एवं मुस्लिम समाज ने स्थानीय प्रशासन, पुलिस विभाग, नगर परिषद, विघुत विभाग व नगर वासियो द्वारा दिये गए सहयोग के प्रति आभार जताया है।

*हजरत इमाम हुसैन इस्लाम में महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं।*
हजरत इमाम हुसैन इस्लाम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं और वह हजरत अली और हजरत फातिमा के पुत्र थे और पैगंबर मुहम्मद के नाती थे। इमाम हुसैन की शहादत कर्बला की जंग में हुई थी, जो 680 ईस्वी में हुई थी। इस जंग में इमाम हुसैन और उनके परिवार के सदस्यों ने यजीद की सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इमाम हुसैन की शहादत को इस्लाम में एक महत्वपूर्ण माना जाता है और मुसलमानों द्वारा विशेष रूप से याद किया जाता है। उनकी शहादत के दिन को आशूरा कहा जाता है और इसे मोहर्रम के महीने में मनाया जाता है।
*इमाम हुसैन की शहादत के महत्व के कुछ कारण हैं:*
*न्याय और सच्चाई के लिए खड़े होना*: इमाम हुसैन ने यजीद की अन्यायपूर्ण सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी और न्याय और सच्चाई के लिए खड़े हुए। *इस्लामी मूल्यों की रक्षा*: इमाम हुसैन ने इस्लामी मूल्यों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी और अपनी जान की कुर्बानी दी। *प्रेरणा का स्रोत*: इमाम हुसैन की शहादत मुसलमानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और उन्हें न्याय और सच्चाई के लिए खड़े होने के लिए प्रोत्साहित करती है। इमाम हुसैन की शहादत की याद में मुसलमान विभिन्न तरीकों से अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं, जिनमें से कुछ हैं: *ताजिया और जुलूस*: मुसलमान ताजिया और जुलूस निकालकर इमाम हुसैन की शहादत की याद मनाते हैं। *लंगर और दान*: मुसलमान लंगर और दान के माध्यम से इमाम हुसैन की शहादत की याद में अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
