नर्मदापुरम// कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी ने दो कर्मचारियों के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति दी।

2 करोड़ 23 लाख 33 हजार 863 रुपये का गबन नायब नाजिर और भृत्य ने मिलकर किया था।

नर्मदापुरम// तहसील डोलरिया में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 नायब नाजिर अमित लौवंशी एवं भृत्य आशीष कहार के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी तथा सक्षम प्राधिकारी सोनिया मीना द्वारा अभियोजन स्वीकृति प्रदान की गई है। विदित हो कि पूर्व में थाना डोलरिया में धारा 409 भादवि सहपठित धारा 13 (1) ए, 13(2) भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत दर्ज प्रकरण जिसमे सहायक ग्रेड-3 नायब नाजिर अमित लौवंशी एवं भृत्य आशीष कहार के विरुद्ध शासकीय कार्य में गंभीर अनियमितताओं के लिए प्रकरण दर्ज किया गया था। उक्तशय में जांच के लिए गठित दल जिसमे जिला कोषालय अधिकारी नर्मदापुरम के नेतृत्व में जांच दल द्वारा जांच की गई एवं जांच में पाया गया कि आरोपीगणों ने शासकीय राशि 2 करोड़ 23 लाख 33 हजार 863 रुपये का कपटपूर्ण आहरण कर शासन को वित्तीय क्षति पहुंचाई।

जांच के आधार पर बढ़ी धारा।

उक्त जांच के आधार पर धारा 409 भादवि इजाफा धारा 13 (1) ए, 13 (2) भ्रष्टाचार अधिनियम के अंतर्गत अपराध का संज्ञान सक्षम न्यायालय द्वारा लिये जाने हेतु मध्यप्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय, भोपाल के निर्देशानुसार भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 19 (1) (ग) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी सोनिया मीना द्वारा अभियोजन की स्वीकृति प्रदान की गई है।

इस सफाई से की हेराफेरी।

डोलरिया तहसील में कार्यरत नायब नाजिर अमित लौवंशी और भृत्य आशीष कहार ने सांठ-गांठ कर बहुत चतुराई के साथ करोड़ो के गबन को अंजाम दिया। बताया जा रहा है कि आरोपीयो ने पात्रहितग्राहियों को एक बार सरकारी राशि का भुगतान किया करते थे। एक बार राशि का भुगतान होने के बाद उसी नाम से दोनों कर्मचारीयो ने योजनाबद्ध तरीके से फर्जी कागज तैयार कर राशि स्वीकृत कराई।

गबन का पैसा अपने रिश्तेदारों के खाते में रखते थे।

सरकार की तरफ से राशि स्वीकृति होने के बाद दोनों भ्रष्ट कर्मचारि गबन का पैसा अपने बेटे-पत्नी और रिश्तेदारों के अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कराते थे । इसके बाद इस राशि का उपयोग खुद किया करते थे। इस गबन की पूरी प्रक्रिया के दौरान दोनों कर्मचारी हेराफेरी से दस्तावेजो पर तत्कालीन तहसीलदार के हस्ताक्षर करवा लेते थे, और तहसीलदार के कार्यालय में ना होने पर तहसीलदार के फर्जी हस्ताक्षर खुद कर लिया करते थे।

सालों तक निकलते रहे राशि ।

2018-2019 से लेकर 2022-23 तक करीब 5 सालों तक दोनों कर्मचारियों ने कुल 2 करोड़ 23 लाख 33 हजार 863 रुपए की राशि का गबन किया। इसके बाद इस राशि को इन दोनों ने अपने परिजनों और रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर की। इस गबन की खबर तत्कालीन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह को लगी को उन्होंने साल 2023 में जांच के आदेश दिए, भोपाल से आई लेखाधिकारियों की विशेष टीम ने जून 2023 में इस मामले की जांच पड़ताल की और करोड़ो की राशि के गबन का खुलासा किया।।

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